मेरी पसंद की एक ग़ज़ल, जिसे जगजीत सिंह की आवाज ने जादुई कर दिया है.
सुन ली जो खुदा ने वो दुआ तुम तो नहीं हो.
दरवाजे पे दस्तक की सदा तुम तो नहीं हो.
महसूस किया तुम को तो गीली हुई पलकें,
बदलें हुए मौसम की अदा तुम तो नहीं हो.
अन्जानी सी राहों में नहीं कोई भी मेरा,
किस ने मुझे युँ अपना कहा तुम तो नहीं हो.
दुनिया को बहरहाल गिले शिकवे रहेगे,
दुनिया की तरह मुझ से खफ़ा तुम तो नहीं हो.
Wednesday, August 12, 2009
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