Wednesday, August 12, 2009

सुन ली जो खुदा ने वो दुआ तुम तो नहीं हो

मेरी पसंद की एक ग़ज़ल, जिसे जगजीत सिंह की आवाज ने जादुई कर दिया है.

सुन ली जो खुदा ने वो दुआ तुम तो नहीं हो.

दरवाजे पे दस्तक की सदा तुम तो नहीं हो.

महसूस किया तुम को तो गीली हुई पलकें,

बदलें हुए मौसम की अदा तुम तो नहीं हो.

अन्जानी सी राहों में नहीं कोई भी मेरा,

किस ने मुझे युँ अपना कहा तुम तो नहीं हो.

दुनिया को बहरहाल गिले शिकवे रहेगे,

दुनिया की तरह मुझ से खफ़ा तुम तो नहीं हो.

इस ब्लॉग को सराहने के लिए आप सभी को थैंक्सः दिगम्बर नासवा ,shama, Pt.डी.के.शर्मा"वत्स", ravikumarswarnkar, नारदमुनि, संगीता पुरी, Ashish Khandelwal, ताऊ रामपुरिया.. अगर यहां आपका नाम नहीं दिख रहा है तो कृपया एक कमेंट कर दें)

Tuesday, July 21, 2009

ये नील की दुनिया है.. रूमानी सी दुनिया

इस दुनिया की झलक बस उन्हीं लोगों के लिए, जो खुद भी रूमानी है.